रस्म ए शादी (Urdu) |
रस्म ए शादी
वक्त-ए- मुकर्ररा पर वह अशरख़ास जो शादी करना चाहते हैं और जो मुलकी कवानीन और कलीसियाई मयार के मुताबिक दुरुस्त है, पासवान के रू-ब-रू इस तरह खड़े हों कि मर्द पासवान के बायें तरफ़ और औरत पासवान के दाहिने जानिब हो।
पासवान यूं कहे:–
ऐ अज़ीज़ो, हम यहां ख़ुदा के और इन गवाहों के रू-ब-रू जमा हुए हैं कि इस मर्द और इस औरत को पाक़ ब्याह के रिश्ते में बांधे । चुनानचि यह एक रस्म मुअज़्ज़िज़ है जिसे ख़ुदा ने इनसान की बेगुनाही की हालत में मुकर्रर किया, और जिस से वह बातनी मेल- ओ-मिलाप जो कि मसीह और उस की कलीसिया के दरमियान है ज़ाहिर होता है, और जिसको मसीह ने काना-ए- गलील में अपनी हाज़िरी और पहिले मौजज़े से रौनक़ और ज़ीनत बख्शी । इसलिये कोई बेफ़िक्री से इस अक्द की पाबन्दी न करें, बल्कि संजीदगी इम्तियाज और ख़ुदा के खौफ़ के साथ इस में हाथ लगाये ।
शादी के उम्मेदवारों से पासवान इस तरह मुखातिब हो:–
मैं तुम दोनों से यह तलब करता और जताये देता हूं कि अब जब कि तुम ख़ुदा की हुज़ूरी में खड़े हो, इस बात को याद रखो कि मुहब्बत और वफ़ादारी, एक खुश खानदान और घर के बुनियादी उसूल हैं। किसी इनसान का बांधा हुआ रिश्ता इतना अहम नहीं होता और न ही वह अहद- ओ-पैमान इतने मुतबर्रिक होते हैं जो तुम अब ख़ुदा के रू-ब-रू बांधोगे। अगर तुम इस अहद- ओ-पैमान को मज़बूती के साथ पाबन्दी करोगे तो तुम अपने आसमानी बाप की मर्ज़ी को बजा लाओगे । तुम्हारी ज़िन्दगी ख़ुशी और मसर्रत से भर जायेगी और वह घर जो तुम बनाने जा रहे हो उसमें सलामती हमेशा सकूनत करेगी ।
हिदायत….. तब पासवान मर्द का मसीही नाम लेते हुये यूं कहे…
पुरुष……..क्या तुम इस स्त्री को अपनी मनकूहा बीवी होने के लिये क़ुबूल करते हो और यह वायदा करते हो कि उस के साथ ख़ुदा की शरियत के बामुजिब ब्याह की पाक़ हालत में रहोगे ? क्या तुम बीमारी और तन्दरुस्ती में उसे प्यार करोगे, उसे तसल्ली दोगे, उसकी इज़्ज़त करोगे, और उसको अपने पास से अलग न करोगे, और सब औरों को छोड़ कर जब तक कि तुम दोनों जीते रहो, उसी के साथ रहोगे ?
तब मर्द यह जवाब दे …..हां, मैं ऐसा ही करूंगा।
हिदायत…………..तब पासवान औरत का मसीही नाम लेते हुये यूं कहे…
स्त्री… क्या तुम इस पुरुष को अपना मनकूहा शौहर क़ुबूल करती हो और यह वायदा करती हो कि उस के साथ ख़ुदा की शरियत के बामुजिब ब्याह की पाक़ हालत में रहोगी । क्या तुम बीमारी और तन्दरुस्ती में उसे प्यार करोगी, उसे तसल्ली दोगी, उसकी इज़्ज़त करोगी, और उसे अपने पास से अलग न करोगी, और सब औरों को छोड़ कर जब तक तुम दोनों जीते रहो उसी के साथ रहोगी ?
तब औरत जवाब दे……. हां, मैं ऐसा ही करूंगी।
तब पासवान यूं कहे इस औरत को कौन देता है कि इस मर्द के साथ ब्याह के रिश्ते में बांधी जाये ?
औरत का बाप या मां या वह शख्स जो औरत को शादी के लिये देता है यह जवाब दे….मैं देता हूँ ।
तब पासवान मर्द से कहे कि औरत का दाहिना हाथ पकड़ो और मेरे साथ यूं कहो :-
मैं पुरुष तुम स्त्री को अपनी मनकूहा बीवी कुबूल करता हूं । और इस दिन से जब तक हम दोनों जीते रहें बेहतर हालत और बदतर हालत में, अमीरी और ग़रीबी में, बीमारी और तन्दरुस्ती में तुझ से मिला रहूंगा । तुझे प्यार करूंगा, और तेरी ख़बरगीरी करूंगा. और इसका मैं ईमान के साथ वायदा करता हूँ ।
तब पासवान औरत से कहे, मेरे साथ साथ यूं कहो:-
मैं स्त्री …तुझ पुरुष को अपना मनकूहा शौहर क़ुबूल करती हूं, और इस दिन से जब तक हम दोनों जीते रहें, बेहतर हालत और बदतर हालत में अमीरी और ग़रीबी में बीमारी और तन्दरुस्ती में तुझ से मिली रहूंगी, तुझे प्यार करूंगी और तेरी ख़बरगीरी करूंगी और इसका मैं ईमान के साथ वायदा करती हूं ।
हिदायत-इसके बाद दोनों हाथ छोड़ दें और इस मौके पर अंगूठी या अंगूठियों को पासवान के सुपुर्द करें।
तब पासवान यूं कहे :-
मसीह ख़ुदावन्द की कलीसिया की मार्फ़त यह शादी का छल्ला इस अन्दरूनी और रूहानी अक्द का बेरूनी और ज़ाहिरी निशान है जिस से दो वफ़ादार दिल दायमी मुहब्बत के बन्द में बांधे जाते हैं ।
तब पासवान कहे… आइये हम दुआ करे ।
ऐ ख़ुदावन्द बख्श दे कि इन छल्लों का तबादला उनमें जो इन्हें पहिने दायमी इत्मीनान अता फ़रमा और कि यह तुझे पसन्द आवे । हमारे ख़ुदावन्द यीशु मसीह के वसीले से । आमीन ।
या सिर्फ एक अंगूठी हो तो पासवान यूँ कहे
बख्श दे ऐ ख़ुदावन्द कि इस छल्ले पर तेरी बरकत हो और इसके देने- वाले को और वह जो इस छल्ले को पहिने हमेशा का इतमीनान हासिल होता रहे और कि यह तुझे पसन्द आवे ।
तब पासवान छल्ले को मर्द के सुपुर्द करे कि वह औरत के बायें हाथ की तीसरी उँगली में, पासवान के साथ यह कहते हुये पहनाये –
अपने बाहमी अहद-ओ-पैमान की निशानी में मैं इस छल्ले से तुझे ब्याहता हूं और अपना दुनियांबी माल तुझे देता हूं। ख़ुदा बाप, ख़ुदा बेटे और ख़ुदा रूह-उल-कुद्स के नाम से । आमीन ।
और दूसरी अँगूठी हो तो पासबान उसे औरत के सुपुर्द करे कि वह अपने मर्द के बायें हाथ की तीसरी उंगली में, पासवान के पीछे-पीछे कहते हुये पहिनाये
अपने बाहमी अहद-ओ-पैमान के इज़हार में मैं इस छल्ले से तुझे व्याहती हूं और अपना दुनियांबी माल तुझे देती हूं। ख़ुदा बाप, ख़ुदा बेटे और ख़ुदा रूह-उल-कुद्स के नाम से । आमीन ।
तब पासवान यूं कहे . . . आइये हम दुआ करें:-
ऐ हमेशगी के ख़ुदा, सब आदमियों के पैदा करने वाले और मुहाफ़िज सब रूहानी फ़ज़ल के बख़्शनेवाले और हमेशा की ज़िन्दगी के देने वाले तू अपने इन बन्दों, इस मर्द और इस औरत पर अपनी बरक़त नाज़िल कर, कि जिन को हम तेरे नाम से दुआ-ए-खैर देते हैं, कि यह दोनों अपने अहद-ओ-पैमान की, जो उन्होंने अब बांधे हैं ईमानदारी से पूरा करें और हमेशा कमाल मुहब्बत और मिलनसारी में क़ायम रहें, और तेरी शरियत के बामुजिब ज़िन्दगी बसर करें । हमारे ख़ुदावन्द यीशु मसीह के वसीले से । आमीन ।
तब पासबान उनके दाहिने हाथ आपस में मिलाये और कहे :-
चूंकि पुरुष और स्त्री ने पाक़ ब्याह पर आपस में इत्तिफ़ाक़ किया है, और इन दोनों ने ख़ुदा के हुज़ूर और इस जमाअत के रू-ब-रू इस का इक़रार भी किया है और एक दूसरे को ईमान से क़ुबूल किया है, और हाथों के मिलाने और छल्लों के तबादले से इस को ज़ाहिर भी किया है, इसलिये मैं ख़ुदा बाप, ख़ुदा बेटे और ख़ुदा रूह-उल-क़ुद्स के नाम से इन को शौहर और बीवी क़रार देता हूं। जिन को ख़ुदा ने जोड़ा है उन को आदमी जुदा न करे । आमीन ।
शौहर और बीवी दोनों घुटनों पर हों और पासवान उन्हें इस तरह बरकत दे :
आइये हम दुआ करें :-
ऐ हमारे बाप, तू जो आसमान पर है, तेरा नाम पाक़ माना जाए, तेरी बादशाहत आये, तेरी मर्जी जैसे आसमान पर पूरी होती है ज़मीन पर भी हो, हमारी रोज़ की रोटी आज हमें दे, और जिस तरह हम ने अपने क़र्ज़दारों को मुआफ़ किया है, तू भी हमारे क़र्ज़ हमें मुआफ़ कर, और हमें आज़माइश में न ला, बल्कि बुराई से बचा, क्योंकि बादशाहत और क़ुदरत और जलाल हमेशा तेरे ही हैं। आमीन ।
और दुआ के आखिर में पासबान कलमात-ए-बरकात भी शामिल करे:
ख़ुदा का इतमीनान जो सारी समझ से बाहर है, तुम्हारे दिलों और ख्यालों को ख़ुदा की और उसके बेटे हमारे ख़ुदावन्द यीशु मसीह की पहचान और मुहब्बत में महफ़ूज़ रखे । बाप, बेटे, और रूह-उल-क़ुद्स की बरकत तुम्हारे दरमियान में हो। तुम बाहमी मुहब्बत में इस जहान में ज़िन्दगी गुज़ारो ताकि आने वाले जहान में हमेशा की ज़िन्दगी हासिल करो । ख़ुदावन्द यीशु मसीह के वसीले से। आमीन ।
शादी की रस्म (Hindi) |
शादी की रस्म
(तब पादरी यह कहे)
हे प्रियों, हम यहाँ परमेश्वर और इन साक्षियों के सामने इसलिए इकट्ठे हुए हैं कि इस पुरूष और इस स्त्री को पवित्र विवाह के बंधन में जोड़े क्योंकि यह एक विशेष संस्कार है जिसे परमेश्वर ने मनुष्य की पवित्रता की दशा में ठहराया है, और यह इस रहस्य का चिन्ह है जो मसीह और उसकी कलीसिया के बीच में है और विवाह में उपस्थित होने और गलील के काना नगर में पहला आश्चर्य कर्म करने से मसीह ने इस पवित्र दशा को सुशोभित और सम्मानित किया है। इसलिए कोई शीघ्रता और अबुद्धिमानी से इस कार्य में हाथ न लगाये, परन्तु बड़े आदर भाव, सोच-विचार और ईश्वर के भय में इसमें हाथ लगाये ।
(तब पादरी यह कहे)
ये स्त्री पुरूष दोनों यहां विवाह की पवित्र विधि के द्वारा संयुक्त होने को आये हैं इसलिए यदि कोई जन ऐसा विशेष कारण जानता हो जिससे ये व्यवस्था की रीति से विवाह नहीं कर सकते हैं, तो अभी बतलावें, नहीं तो इसके पश्चात् सदा तक चुप रहें।
यदि तुम दोनों में से कोई ऐसा कारण जानता हो जिससे तुम अपना विवाह व्यवस्था की रीति से नहीं कर सकते हो तो उसे अभी बतलाओ और इसको निश्चिय जानों कि जितने ईश्वर के वचन की सम्मति के विरूद्ध जोड़े जाते हैं उनको ईश्वर नहीं जोड़ता और न उनका विवाह, विवाह है।
(तब पादरी दोनों से यह कहे)
मैं तुम दोनो ये कहता हॅू कि अब जब कि तुम दोनों परमेश्वर की उपस्थिति में खड़े हो, इस बात को स्मरण रखो कि मुहब्बत और वफ़ादारी, एक अच्छे परिवार और घर के बुनयादी उसूल हैं। किसी मनुष्य का बांधा हुआ रिश्ता इतना अहम नहीं होता और न ही वह वायदे जो परमेश्वर के समक्ष किये जाते है पर यदि तुम इन वायदों का मज़बूती के साथ पालन करते हो तो तुम परमेश्वर की इच्छा को पूरा करोगे और तुम्हारा जीवन खुशियों से भर जायेगा और जो घर तुम बनाने जा रहे हो उसमें हमेशा शान्ति बनी रहेगी।
(तब यदि किसी प्रकार का विरोध न हो तो पादरी दुल्हे का नाम लेकर यह कहे)
पुरुष क्या तुम स्त्री को अपनी मनपसंद पत्नी होने के लिए स्वीकार करते हो और यह मानते हो कि उसके साथ परमेश्वर की आज्ञानुसार विवाह की पवित्र दशा में रहोगे? क्या तुम बीमारी और तन्दरुस्ती में उसको प्यार करोगे और उसे तसल्ली दोगे, उसका आदर करोगे, उसको अपने पास से अलग न करोगे और सब औरों को छोड़, जब तक तुम दोनो जीते रहो उसी के साथ रहोगे।
दूल्हा- हां मैं ऐसा ही करूंगा।
(तब पादरी दुल्हिन का नाम लेकर यह कहे)
Roma क्या तुम पुरुष पुरुष को अपना मनपसंद पति होने के लिए स्वीकार करती हो और यह मानती हो कि उसके साथ परमेश्वर की आज्ञानुसार विवाह की पवित्र दशा में रहोगी? क्या तुम बीमारी और तन्दरुस्ती में उसको प्यार करोगी और उसे तसल्ली दोगी, उसका आदर करोगी, उसको अपने पास से अलग न करोगी और सब औरों को छोड़, जब तक तुम दोनो जीते रहो उसी के साथ रहोगी।
दुल्हन- हाँ मैं ऐसा ही करूंगी
(तब पादरी यह कहे कि कौन इस स्त्री को इस पुरूष से विवाह के लिए देता है)
उत्तर: मैं देता हॅू।
(तब पादरी दूल्हे से कहे कि अपने दाहिने हाथ से दुल्हिन का दाहिना हाथ पकड़ो और इस प्रकार कहो)
मैं पुरुष तुझ स्त्री को परमेश्वर के पवित्र नियम के अनुसार अपनी मनपसंद पत्नी होने के लिये स्वीकार करता हूँ और आज के दिन से जब तक हम दोनो जीते रहे अच्छी दशा बुरी दशा अमीरी और ग़रीबी में, बीमारी और तन्दरुस्ती मे तुझसे मिला रहूँगा और तुझे प्यार करूंगा और तेरी सुधि लूंगा और मैं शपथपूर्वक तुझे यह वचन देता हूँ।
(तब दोनो अपने हाथ छोड़ दे और दुल्हिन दूल्हे का दाहिना हाथ अपने दाहिने हाथ मे लेकर इस प्रकार कहे)
मैं स्त्री तुझ पुरुष को परमेश्वर के पवित्र नियम के अनुसार अपना मनपसंद पति होने के लिये स्वीकार करती हूँ और आज के दिन से जब तक हम दोनो जीते रहे अच्छी दशा, बुरी दशा, अमीरी और ग़रीबी में, बीमारी और तन्दरुस्ती में तुझसे मिली रहूँगी और तुझे प्यार करूंगी और तेरी सुधि लूंगी और मैं शपथपूर्वक तुझे यह वचन देती हूँ।
(इस अवसर पर छल्लों का आदान प्रदान किया जायेगा)
छल्लों के लिए प्रार्थना की जायेगी।
(तब पादरी के साथ पुरूष यह कहे)
मैं पुरुष – अपने सभी वायदों की निशानी इस छल्ले से मैं तुझे ब्याहता हूँ और अपनी सांसारिक सम्पत्ति तुझे देता हॅू, पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम से…आमीन
(तब पादरी के साथ स्त्री यह कहे)
मैं स्त्री – अपने सभी वायदों की निशानी इस छल्ले से मैं तुझे ब्याहती हूँ और अपनी सांसारिक सम्पत्ति तुझे देती हॅू, पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम से…आमीन
(तब पादरी के साथ और पादरी यह कहे)
पिता और पुत्र और अनंत जीवन के दाता, तू अपने इन दासों अर्थात इस पुरूष और इस स्त्री को जिन्हे हम तेरे नाम से आर्शीवाद देते हैं, आशीष दे कि ये दोनो अपनी वाचा को जो इन्होंने इस समय आपस में बांधी है विश्वास के साथ पूरा करें और सदा प्रेम और मेल से रहें और तेरे नियम के अनुसार जीवन व्यतीत करें हमारे प्रभू यीशू मसीह के द्वारा ….आमीन
(तब पादरी उनसे दाहिने हाथ मिलावें)
जबकि स्त्री (स्त्री) और पुरुष (पुरूष) ने इस पवित्र विवाह में परस्पर एका किया है और इन दोनों ने परमेश्वर और इस सभा के सन्मुख इस बात को मान भी लिया और एक दूसरे को विश्वास के साथ स्वीकार भी किया और इसको अपने हाथों के मिलाने से प्रकट किया है, इस कारण मैं इनको पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम से पति और पत्नी कहता हूँ जिनको परमेश्वर ने जोड़ा है, उनको मनुष्य अलग न करे …… आमीन
(तब पादरी उनको यह वर दे)
परमेश्वर पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा तुम को वर देवे, तुम्हारी रक्षा करें, और तुमको बचाए रखें परमेश्वर तुम पर अपनी दय दृष्टि करे ओर तुम को आत्मिक आशीष और अनुग्रह से ऐसा परिपूर्ण करे कि तुम इस जीवन में एक साथ ऐसा निर्वाह करो कि परलोक मे अनंत जीवन प्राप्त करो। …………….. आमीन
प्रभु की प्रार्थना (सब मिलकर)
आशीष वचन (कलीसिया को)