पाप पर दंड :
पर भले या बुरे के ज्ञान का जो वृक्ष है, उसका फल तू कभी न खाना: क्योंकि जिस दिन तू उसका फल खाए उसी दिन अवश्य मर जाएगा॥ (उत्पत्ति 2:17)
इसलिये जैसा एक मनुष्य के द्वारा पाप जगत में आया, और पाप के द्वारा मृत्यु आई, और इस रीति से मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गई, इसलिये कि सब ने पाप किया। (रोमियो 5:12)

आत्मा और शरीर को अलग करती है :
जब मिट्टी ज्यों की त्यों मिट्टी में मिल जाएगी, और आत्मा परमेश्वर के पास जिसने उसे दिया लौट जाएगी।(सभोपदेशक 12:7)

विवेक के अस्तित्व को समाप्त नहीं करती है :
वे फिर मरने के भी नहीं; क्योंकि वे स्वर्गदूतों के समान होंगे, और जी उठने के सन्तान होने से परमेश्वर के भी सन्तान होंगे। (लूका 20:36)
उस ने उस से कहा, मैं तुझ से सच कहता हूं; कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा॥ (लूका 23:43)

मृत्यु की निश्चितता :
क्योंकि जीवते तो इतना जानते हैं कि वे मरेंगे (सभोपदेशक 9:5)
तुम्हारे पुरखा कहां रहे? और भविष्यद्वक्ता क्या सदा जीवित रहते हैं? (जकर्याह 1:5)
और जैसे मनुष्यों के लिये एक बार मरना और उसके बाद न्याय का होना नियुक्त है। (इब्रानियों 9:27)

यह अभिलषित है :
यहां तक कि मेरा जी फांसी को, और जीवन से मृत्यु को अधिक चाहता है। (अय्यूब 7:15)
हे स्वामी, अब तू अपने दास को अपने वचन के अनुसार शान्ति से विदा करता है। (लूका 2:29)
इसलिये हम ढाढ़स बान्धे रहते हैं, और देह से अलग होकर प्रभु के साथ रहना और भी उत्तम समझते हैं। (2 कुरिन्थियों 5:8)
क्योंकि मैं दोनों के बीच अधर में लटका हूं; जी तो चाहता है कि कूच करके मसीह के पास जा रहूं, क्योंकि यह बहुत ही अच्छा है। (फिलिप्पियों 1:23)

धर्मी की मृत्यु :
चाहे मैं घोर अन्धकार से भरी हुई तराई में होकर चलूं, तौभी हानि से न डरूंगा, क्योंकि तू मेरे साथ रहता है; तेरे सोंटे और तेरी लाठी से मुझे शान्ति मिलती है॥ (भजन संहिता 23:4)
यहोवा के भक्तों की मृत्यु, उसकी दृष्टि में अनमोल है। (भजन संहिता 116:15)
और मैं ने स्वर्ग से यह शब्द सुना, कि लिख; जो मुरदे प्रभु में मरते हैं, वे अब से धन्य हैं, आत्मा कहता है, हां क्योंकि वे अपने परिश्र्मों से विश्राम पाएंगे, और उन के कार्य उन के साथ हो लेते हैं॥ (प्रकाशित वाक्य 14:13)

दुष्ट की मृत्यु :
जब दुष्ट मरता, तब उसकी आशा टूट जाती है, और अधर्मी की आशा व्यर्थ होती है। (नीतिवचन 11:7)
क्योंकि बुरे मनुष्य को अन्त में कुछ फल न मिलेगा, दुष्टों का दिया बुझा दिया जाएगा॥ (नीतिवचन 24:20)

मृत्यु की तैयारी :
भला होता कि ये बुद्धिमान होते, कि इस को समझ लेते, और अपने अन्त का विचार करते! (व्यवस्थाविवरण 32:29)
हम को अपने दिन गिनने की समझ दे कि हम बुद्धिमान हो जाएं॥ (भजन संहिता 90:12)